Shani Chalisa Lyrics Hindi Best || Good शनी चालीसा (2022)

Shani Chalisa Lyrics IN Hindi 2022


Shani Chalisa hindi शनी चालीसा


जय गणेश गिरिजा सुवन , मंगल करण कृपाल ।

दीनन के दुःख दूर करि , कीजै नाथ निहाल ॥


जय जय श्री शनिदेव प्रभु , सुनहु विनय महाराज ।

करहु कृपा हे रवि तनय , राखहु जन की लाज ॥

Shani Chalisa..🔱

॥ चौपाई ॥


जयति जयति शनिदेव दयाला ।

करत सदा भक्तन प्रतिपाला ॥


चारि भुजा , तनु श्याम विराजै ।

माथे रतन मुकुट छवि छाजै ॥


परम विशाल मनोहर भाला ।

टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला ॥


कुण्डल श्रवण चमाचम चमके ।

हिये माल मुक्तन मणि दमके ॥


कर में गदा त्रिशूल कुठारा ।

पल बिच करैं अरिहिं संहारा ॥


पिंगल , कृष्णों, छाया , नन्दन ।

यम , कोणस्थ , रौद्र , दुःख भंजन ॥


सौरी , मन्द , शनि , दशनामा ।

भानु पुत्र पूजहिं सब कामा ॥


जा पर प्रभु प्रसन्न है जाहीं ।

रंकहुं राव करैं क्षण माहीं ॥


पर्वतहू तृण होई निहारत ।

तृणहू को पर्वत करि डारत ॥


राज मिलत वन रामहिं दीन्हो ।

कैकेइहुं की मति हरि लीन्हो ॥


बनहूं में मृग कपट दिखाई ।

मातु जानकी गई चतुराई ॥


लखनहिं शक्ति विकल करिडारा ।

मचिगा दल में हाहाकारा ॥


रावण की गति मति बौराई ।

रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई ॥


दियो कीट करि कंचन लंका ।

बजि बजरंग बीर की डंका ॥


नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा ।

चित्र मयूर निगलि गै हारा ॥


हार नौलाखा लाग्यो चोरी ।

हाथ पैर डरवायो तोरी ॥


भारी दशा निकृष्ट दिखायो ।

तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो ॥


विनय राग दीपक महँ कीन्हों ।

तब प्रसन्न प्रभु हवै सुख दीन्हों ॥


हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी ।

आपहुं भरे डोम घर पानी ॥


तैसे नल पर दशा सिरानी ।

भूंजी-मीन कूद गई पानी ॥


श्री शंकरहि गहयो जब जाई ।

पार्वती को सती कराई ॥


तनिक विलोकत ही करि रीसा ।

नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा ॥


पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी ।

बची द्रोपदी होति उधारी ॥


कौरव के भी गति मति मारयो ।

युद्ध महाभारत करि डारयो ॥


रवि कहं मुख महं धरि तत्काला ।

लेकर कूदि परयो पाताला ॥


शेष देव-लखि विनती लाई ।

रवि को मुख ते दियो छुड़ई ॥


वाहन प्रभु के सात सुजाना ।

जग दिग्ज गर्दभ मृग स्वाना ॥


जम्बुक सिंह आदि नख धारी ।

सो फल ज्योतिष कहत पुकारी ॥


गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं ।

हय ते सुख सम्पत्ति उपजावै ॥


गर्दभ हानि करै बहु काजा ।

गर्दभ सिंद्धकर राज समाजा ॥


जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै ।

मृग दे कष्ट प्राण संहारै ॥


जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी ।

चोरी आदि होय डर भारी ॥


तैसहि चारि चरण यह नामा ।

स्वर्ण लौह चाँजी अरु तामा ॥


लौह चरण पर जब प्रभु आवैं ।

धन जन सम्पत्ति नष्ट करावै ॥


समता ताम्र रजत शुभकारी ।

स्वर्ण सर्वसुख मंगल कारी ॥


जो यह शनि चरित्र नित गावै ।

कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै ॥


अदभुत नाथ दिखावैं लीला ।

करैं शत्रु के नशि बलि ढीला ॥


जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई ।

विधिवत शनि ग्रह शांति कराई ॥


पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत ।

दीप दान दै बहु सुख पावत ॥


कहत राम सुन्दर प्रभु दासा ।

शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा ॥

पढीये-हनुमान चालीसा

                    ॥ दोहा ॥


पाठ शनिश्चर देव को , की हों विमल तैयार ।

करत पाठ चालीस दिन , हो भवसागर पार ॥




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